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दुआ और मेहनत – क्या हमारी किस्मत बदल सकती है?

 दुआ और मेहनत – क्या हमारी किस्मत बदल सकती है? "जो हमारी क़िस्मत में लिखा है, वही होगा।" — यह बात हम अक्सर सुनते हैं। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? या फिर हमारी **मेहनत, दुआ और नीयत** हमारी तक़दीर को बदल सकती है? इस लेख में हम इसी सवाल का जवाब **इस्लाम की रोशनी में** समझने की कोशिश करेंगे। तक़दीर क्या है? तक़दीर का मतलब है — **वह योजना जो अल्लाह तआला ने हर इंसान के लिए तय कर रखी है।** अल्लाह तआला को हर चीज़ का इल्म पहले से है। उसने जो कुछ होना है, सब कुछ **"लौहे महफ़ूज़"** (एक पाक किताब में) में लिख दिया है। यह अल्लाह की क़ुदरत और हिकमत का हिस्सा है। अल्लाह तआला ने इस दुनिया को एक खास व्यवस्था (सिस्टम) के साथ बनाया है। हर चीज़, हर घटना और हर पल उसके ज्ञान और नियंत्रण में है। इस्लाम में तक़दीर (क़िस्मत) पर यकीन रखना ईमान का एक अहम हिस्सा है। तक़दीर का मतलब है कि अल्लाह ने पहले से ही सब कुछ जान रखा है और हर इंसान के नसीब में जो कुछ लिखा है, वो उसे मिलेगा। लेकिन इस्लाम हमें सिर्फ़ बैठकर इंतज़ार करने को नहीं कहता, बल्कि दुआ, मेहनत और अच्छे काम करने का हुक्म देता है।...