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खुदी को कैसे बुलंद करें

यह बात सही है कि अल्लाह तआला की मर्ज़ी के बगैर कोई काम मुमकिन नहीं है | उस की मर्ज़ी और उस के हुक्म के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता, मगर जो लोग यह समझते हैं कि अल्लाह तआला की मर्ज़ी और उस की रज़ा (ख़ुशी) एक ही चीज़ है तो वह अपनी इस्लाह(correction) कर लें क्योंकि ख़ुदा की मर्ज़ी उस की रज़ा से मुखतलिफ़ चीज़ है| यक़ीनन हर काम अल्लाह ताला की मर्ज़ी से होता है लेकिन राज़ी वह उन्ही कामों से होता है, जिन का उस ने हुक्म दे रखा है न कि हर उस काम से जो इंसान अल्लाह की मर्ज़ी से करता है | यानी चोरी, बलात्कारी, ज़ुल्म और बड़े-बड़े गुनाह बन्दा करता है | अगर अल्लाह तआला चाहे तो किसी को यह गुनाह करने की ताकत ही ना दे, फ़ौरन उस का हाथ पकड़ ले, उस के क़दमो को रोक दे, उस की नज़र सलब कर ले, लेकिन यह सब ज़बर की सूरतें हैं और अल्लाह तआला ज़बरदस्ती के हक़ में नहीं, इसलिए उसने इंसान को इख्तियार की आज़ादी दे दी है |बेशक़ सातों असमान और अर्श-आज़म का मालिक-व-खालिक़ ख़ुदा ही है, मौत और ज़िन्दगी, मौसम का बदलना सैयारों की गर्दिश से दिन और रात का वजूद. गर्ज़ यह कि दोनोँ आलम का ज़रह-ज़रह ख़ुदा के हुक्म का मोहताज़ है | अल्लाह तआला ने आसमान और ज़मी...