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Ibadat Ka Matlab

 इस्लाम में   इबादत का मतलब -Sadiya Khan Sultanpuri           इस्लाम में इबादत के लिए ख़ारजी(दिखावा) रसूम(रस्म) का कोई वजूद नहीं है, न ही सूरज के निकलने का इंतजार करने की या उस की तरफ देखने की हाजत (ज़रूरत) है, न सामने आग का अलाव जलाने की ज़रुरत, न देवताओं, बुज़ुर्गों और वलियों के मुजस्समों (बुतों) को पेशेनज़र रखने की इजाज़त है, न घंटियों और नकूसों की ज़रुरत है, न लोबान और दूसरे बख़ुरात जलाने की रस्म और न ही किसी ख़ास किस्म के कपड़ों की क़ैद _____ इन तमाम बैरूनी (बाहरी) रसूम और क़यूद (क़ैद) से इस्लाम की इबादत पाक और आज़ाद है | इस्लाम में ख़ुदा की इबादत और परस्तिश(पूजा) के वक़्त बंदे के जिस्म-व-जान के अलावा किसी चीज़ की ज़रुरत नहीं, यानि इस्लाम में इबादत का वो तंग मफ़हूम नहीं जो दूसरे जगहों में पाया जाता है. इस्लाम में इबादत के लफ्ज़ी मायने अपनी आजिज़ी और दरमांदगी (दीनता) का इज़हार है और शरीयत में ख़ुदा-ए-अज्ज़ोअजल के सामने अपनी बंदगी और उबूदियत(इबादत) के नज़राने को पेश करना और उसके एहकाम को बजा लाना है. आप सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ने इबादत का जो मफ़हूम दुनिया के सामने पेश किया है, इसमें सबसे पहली चीज़ दिल क

Islam Mein Aurat Aur Mard Ka Maqaam

  इस्लाम में औरत और मर्द का मक़ाम अल्लाह तआला ने पहले आदम अलैहिस्सलाम को पैदा किया फिर उनकी बाईं पसली से हव्वा अलैहिस्सलाम को पैदा किया. मगर ये वाज़ेह ( Clear) तौर पर बाइबल का बयान है, न कि क़ुरान का बयान . क़ुरान के मुताबिक़ आदम अलैहिस्सलाम और हव्वा अलैहिस्सलाम को एक ही मुश्तरिक मअदा से पैदा किया गया, न कि एक दूसरे के जिस्मानी हिस्से से . इसलिए क़ुरान का बयान इस बात की दलील है कि जब मर्द और औरत एक ही मुश्तरिक मअदा से पैदा किए गए हैं, तो यक़ीनन इन्सान होने के नाते से यकसाँ रुतबा और दर्जा के भी मुसतहिक़ होंगे. क्योंकि इन्साफ का तकाज़ा भी यही है और अल्लाह रब्बुल-इज्ज़त से बड़ी इंसाफ करने वाली कोई ज़ात नहीं है. ( सूरह- तौबा -71-72 ). क़ुरान की आयतों में मोमिन मर्द और मोमिन औरत दोनों का ज़िक्र यकसाँ हैसियत से किया गया है. इससे मालूम होता है कि इन्फरादी हैसियत में भी दोनों से इस्लाम का तक़ाज़ा यकसाँ है. और इनकी इखलाकी ज़िम्मेदारियाँ भी यकसाँ हैं. इसलिए इनाम और जज़ा के मामले में दोनों का हिस्सा बराबर होगा. यानी जो अमल एक मर्द को जन्नत में दाख़िले का हक़ देगा, इसी अमल से औरत भी जन्नत में दाख़िले की मुसतह