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International Arbitration

International Arbitration Arbitration is one of the methods of settling disputes between two or more persons or parties by reference of the disputes to an independent and impartial person called arbitrator. Arbitrator is a person who is appointed to determine differences and disputes between two or more parties by their mutual consent. Arbitrator gives its opinion without being partial and then tries to patch up between the two parties. International arbitration also allows the same method. Therefore, when there is any problem between two countries then they take the matter to international court of arbitration. International arbitration is sometimes called a hybrid form of international disputes resolution. At present, there is a government of international agreements in the world, and with the United Nations and other international organizations, they are controlling the world’s system through these international agreements. The World War of Justice is the pri

Amanat Aur Dayanatdaari

अमानत और दयानतदारी आपस के लेन-देन के मामले में जो इखलाकी जौहर मरकजी हैसियत रखता है वह दयानतदारी और अमानत है. इस का मतलब यह है कि इंसान अपने कारोबार में ईमानदार हो और जो जिस का, जितना लिया हो, उस को पूरी इमानदारी से रत्ती-रत्ती दे दे. इसी को अरबी में अमानत कहते हैं ___ ख़यानत को इस तरह बयान किया गया है कि अगर एक का हक़ दूसरे के ज़िम्मे वाजिब हो, उस के अदा करने में ईमानदारी न बरतना ख़यानत. इस के अलावा अगर एक की चीज दूसरे के पास आमानत हो और वह उस में रद्दो-बदल करता है या मांगने पर वापस नहीं करता हो तो वह खुली होई ख़यानत है. हमारे रसूल सल्लललाहू अलैहिवसल्लम को नबूवत से पहले मक्का वालों की तरफ से अमीन का खिताब मिला था. क्योंकि आप स. अपने कारोबार में दयानतदार थे, और जो लोग, जो कुछ आप स. के पास रखवाते थे, वो आप स. ज्यों का त्यों वापिस करते थे. हम ये जान लें कि अमानत का दायरा सिर्फ रूपये-पैसे, जायदाद और माली अशिया ( चीजों) तक महदूद नहीं हैं. जैसा कि आम लोग समझते हैं. बल्कि हर मआली, कानूनी और इखलाकी अमानत तक वसीअ (फैला हुआ) है. अगर किसी की कोई चीज़ आप के पास रखी है, तो उसके माँगने पर या यूँ भी

Ibadat Ka Matlab

 इस्लाम में   इबादत का मतलब -Sadiya Khan Sultanpuri           इस्लाम में इबादत के लिए ख़ारजी(दिखावा) रसूम(रस्म) का कोई वजूद नहीं है, न ही सूरज के निकलने का इंतजार करने की या उस की तरफ देखने की हाजत (ज़रूरत) है, न सामने आग का अलाव जलाने की ज़रुरत, न देवताओं, बुज़ुर्गों और वलियों के मुजस्समों (बुतों) को पेशेनज़र रखने की इजाज़त है, न घंटियों और नकूसों की ज़रुरत है, न लोबान और दूसरे बख़ुरात जलाने की रस्म और न ही किसी ख़ास किस्म के कपड़ों की क़ैद _____ इन तमाम बैरूनी (बाहरी) रसूम और क़यूद (क़ैद) से इस्लाम की इबादत पाक और आज़ाद है | इस्लाम में ख़ुदा की इबादत और परस्तिश(पूजा) के वक़्त बंदे के जिस्म-व-जान के अलावा किसी चीज़ की ज़रुरत नहीं, यानि इस्लाम में इबादत का वो तंग मफ़हूम नहीं जो दूसरे जगहों में पाया जाता है. इस्लाम में इबादत के लफ्ज़ी मायने अपनी आजिज़ी और दरमांदगी (दीनता) का इज़हार है और शरीयत में ख़ुदा-ए-अज्ज़ोअजल के सामने अपनी बंदगी और उबूदियत(इबादत) के नज़राने को पेश करना और उसके एहकाम को बजा लाना है. आप सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ने इबादत का जो मफ़हूम दुनिया के सामने पेश किया है, इसमें सबसे पहली चीज़ दिल क

Islam Mein Aurat Aur Mard Ka Maqaam

  इस्लाम में औरत और मर्द का मक़ाम अल्लाह तआला ने पहले आदम अलैहिस्सलाम को पैदा किया फिर उनकी बाईं पसली से हव्वा अलैहिस्सलाम को पैदा किया. मगर ये वाज़ेह ( Clear) तौर पर बाइबल का बयान है, न कि क़ुरान का बयान . क़ुरान के मुताबिक़ आदम अलैहिस्सलाम और हव्वा अलैहिस्सलाम को एक ही मुश्तरिक मअदा से पैदा किया गया, न कि एक दूसरे के जिस्मानी हिस्से से . इसलिए क़ुरान का बयान इस बात की दलील है कि जब मर्द और औरत एक ही मुश्तरिक मअदा से पैदा किए गए हैं, तो यक़ीनन इन्सान होने के नाते से यकसाँ रुतबा और दर्जा के भी मुसतहिक़ होंगे. क्योंकि इन्साफ का तकाज़ा भी यही है और अल्लाह रब्बुल-इज्ज़त से बड़ी इंसाफ करने वाली कोई ज़ात नहीं है. ( सूरह- तौबा -71-72 ). क़ुरान की आयतों में मोमिन मर्द और मोमिन औरत दोनों का ज़िक्र यकसाँ हैसियत से किया गया है. इससे मालूम होता है कि इन्फरादी हैसियत में भी दोनों से इस्लाम का तक़ाज़ा यकसाँ है. और इनकी इखलाकी ज़िम्मेदारियाँ भी यकसाँ हैं. इसलिए इनाम और जज़ा के मामले में दोनों का हिस्सा बराबर होगा. यानी जो अमल एक मर्द को जन्नत में दाख़िले का हक़ देगा, इसी अमल से औरत भी जन्नत में दाख़िले की मुसतह